एक कॉफ़ी के सहारे, उनमें सुर्ख लाली लाने की कहाँ बात थी !
सिर्फ नज़रें मिलाने की, दो बईमान इरादों की बात थी ,
एक कॉफ़ी ही तो थी,दबे तूफानों को जगाने की कहाँ बात थी!
मेरे देखे हुए ख्वाबों को, कहाँ पूरा करने की बात थी,
तेरे ही दिए हुए वादे में, साथ साथ एक कॉफ़ी की ही तो बात थी!
कुछ उधार बाकी है तेरा, चुकता करने की बात थी,
अस्सल अभी भी कॉफ़ी है, ब्याज चुकाने की कहाँ बात थी!
दिल्लगी और भी की है तूने , इस दिल लगाने वाले में कुछ तो बात थी,
इंतज़ार में आज भी है तेरे, वादे में एक कॉफ़ी की ही तो बात थी!