वोह आमोद भरी आँखें ,पर तस्सली के बेजान खंजर चाक करे हैं.
वोह पहली मुलाकात की बस यादें, मेरा नमकीन मरहम बने हैं ..
आमोद= Entertainment,Amusement
इस ज़माने को नहीं पता ,क्या मुझे हर मौसम खुशगवार रखे हैं .
मुरझाया पतझड़ तेरे बिना ,पर तेरे एक दीदार का मौसम बनें हैं ..
तुझे बाँहों में कोई सिमटे ,खैरियत की पनाह दे सके है.
क्या उन्माद की हंसी , वोह तेरा अनुरागी भी बेवजह बनें है ..
अनुरागी = dedicated,
मुलाकात भी हासिल नहीं ,कुछ उसकी वफ़ा भी तकाजा बने है.
पर तेरे ज़ालिम अलविदा का एक हक, हम भी एक अरसे से यहाँ बनें है ...
बईमान दुनिया से हार हताश , अगर मिलने की इच्छा कभी जगे है.
गली के महखाने में ढूँढना मुझे , हर उमीदगार के लब पर तेरा नाम बनें हैं ..
ठगा हुआ मायूस तुझे , अगर कोई मेरी शक्ल मदद के लिए दिखे है.
बताना रिहाई का यह फकीर, निराशियों में प्यार का ढोंगी प्रचारक बनें है..
No comments:
Post a Comment