कुछ जज़्बात उठें तो कैसे
उठें ,
कुछ रिश्ता रखें तो
क्या कहें !
कुछ बात
कहें तो
कैसे कहें ,
कुछ बात
कहें तो क्या
कहें !
कुछ तिल तिल बेसब्री बेसब्र
उठें ,
कुछ तिल
तिल हताशा हताश उठें
!
हर लम्हें मजबूरी मजबूर उठें
,
पर कुछ
बात कहें तो
क्या कहें !
यह विरह नहीं
, फिर क्यूँ विरहन लगे
,
ना यह प्रेम
व्यव्हार सा
मिलाप लगे !
दूर दूर से
लगे की हम
पास रहें ,
पर कुछ
बात कहें तो
क्या कहें !
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