जिनको हमने होश ओ हवाश में अपना मुक्कम्मल खुदा बनाया,
वोह देखो तमाशे में मेरी मोहब्बत की नीलामी लगाये बैठे हैं!
अधूरे से अफ़साने में बेवफा की तोहमत भी नहीं दे सकता ...
मासूमियत के पीछे अदाओं से, वफाई शब्द वोह पाऊँ तले रोंदे बैठे हैं!
कसम तोड़ी क्यूँ तूने ,क्यूँ मृगनयनी के आगे जज़्बात झुकने दिए ,
जानकार भी , फितरत से वोह, उम्र भर मोहब्बत बदनाम किये बैठे हैं !
ख्वाबों का मंज़र वोह तुमने, हकीक़त में क्या खूब करीब महसूस कराया था ...
बेखबर हम,ख्वाब्गार और भी वोह कमसिन, प्रेम मायाजाल में फंसाए बैठे हैं !
एक देवदास और कारी बदनाम गलियों का तेरे इलज़ाम आना होगा ..
क्यूंकि, मेरे लहू के सूर्ख गुलाबों में, वोह सुहागरात सजाये बैठे हैं !
Tuesday, August 23, 2011
एक और देवदास तेरे इलज़ाम आना होगा
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