One Liners

Take it with a grain of salt....

Monday, February 27, 2012

एक कॉफ़ी की ही तो बात थी


पीले दिए हुए गुलाबों की , किस्मत का रास्ता दिखने की बात थी,
एक कॉफ़ी के सहारे, उनमें सुर्ख लाली लाने की कहाँ बात थी !

सिर्फ नज़रें मिलाने की, दो बईमान इरादों की बात थी ,
एक कॉफ़ी ही तो थी,दबे तूफानों को जगाने की कहाँ बात थी!

मेरे देखे हुए ख्वाबों को, कहाँ पूरा करने की बात थी,
तेरे ही दिए हुए वादे में, साथ साथ एक कॉफ़ी की ही तो बात थी!

कुछ उधार बाकी है तेरा, चुकता करने की बात थी,
अस्सल अभी भी कॉफ़ी है, ब्याज चुकाने की कहाँ बात थी!

दिल्लगी और भी की है तूने , इस दिल लगाने वाले में कुछ तो बात थी,
इंतज़ार में आज भी है तेरे, वादे में एक कॉफ़ी की ही तो बात थी!

Tuesday, January 3, 2012

तेरे एक दीदार का मौसम बनें हैं



वोह आमोद भरी आँखें ,पर तस्सली के बेजान खंजर चाक करे हैं.

वोह पहली मुलाकात की बस यादें, मेरा नमकीन मरहम बने हैं ..
आमोद= Entertainment,Amusement


इस ज़माने को नहीं पता ,क्या मुझे हर मौसम खुशगवार रखे हैं .
मुरझाया पतझड़ तेरे बिना ,पर तेरे एक दीदार का मौसम बनें हैं ..

तुझे बाँहों में कोई सिमटे ,खैरियत की पनाह दे सके है.
क्या उन्माद की हंसी , वोह तेरा अनुरागी भी बेवजह बनें है ..
अनुरागी = dedicated,

मुलाकात भी हासिल नहीं ,कुछ उसकी वफ़ा भी तकाजा बने है.
पर तेरे ज़ालिम अलविदा का एक हक, हम भी एक अरसे से यहाँ बनें है ...

बईमान दुनिया से हार हताश , अगर मिलने की इच्छा कभी जगे है.
गली के महखाने में ढूँढना मुझे , हर उमीदगार के लब पर तेरा नाम बनें हैं ..  

ठगा हुआ  मायूस तुझे , अगर कोई मेरी शक्ल मदद के लिए  दिखे है.  
बताना  रिहाई का यह फकीर, निराशियों  में प्यार का ढोंगी प्रचारक बनें है..